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बारह प्रेरित
फिर उसने अपने बारह चेलों को पास बुलाकर, उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया, कि उन्हें निकालें और सब प्रकार की बीमारियों और सब प्रकार की दुर्बलताओं को दूर करें।
इन बारह प्रेरितों* 10:2 प्रेरितों: प्रेरित शब्द यूनानी भाषा “अपोसतोलॉस” शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ, “वह जो भेजा जाता है।” के नाम ये हैं: पहला शमौन, जो पतरस कहलाता है, और उसका भाई अन्द्रियास; जब्दी का पुत्र याकूब, और उसका भाई यूहन्ना; फिलिप्पुस और बरतुल्मै, थोमा, और चुंगी लेनेवाला मत्ती, हलफईस का पुत्र याकूब और तद्दै। शमौन कनानी 10:4 शमौन कनानी: वह एक प्राचीन यहूदी समुदाय का सदस्य था, इस समुदाय का लक्ष्य विश्व यहूदी साम्राज्य की स्थापना करना और इसी कारण वे सन 70 तक रोमी साम्राज्य के कट्टर विरोधी थे।, और यहूदा इस्करियोती, जिसने उसे पकड़वाया।
चेलों को सेवा के लिए भेजा जाना
इन बारहों को यीशु ने यह निर्देश देकर भेजा, “अन्यजातियों की ओर न जाना, और सामरियों के किसी नगर में प्रवेश न करना।(यिर्म. 50:6) परन्तु इस्राएल के घराने ही की खोई हुई भेड़ों के पास जाना। और चलते-चलते प्रचार करके कहो कि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है। बीमारों को चंगा करो: मरे हुओं को जिलाओ, कोढ़ियों को शुद्ध करो, दुष्टात्माओं को निकालो। तुम ने सेंत-मेंत पाया है, सेंत-मेंत दो। अपने बटुओं में न तो सोना, और न रूपा, और न तांबा रखना। 10  मार्ग के लिये न झोली रखो, न दो कुर्ता, न जूते और न लाठी लो, क्योंकि मजदूर को उसका भोजन मिलना चाहिए।
11  “जिस किसी नगर या गाँव में जाओ तो पता लगाओ कि वहाँ कौन योग्य है? और जब तक वहाँ से न निकलो, उसी के यहाँ रहो। 12  और घर में प्रवेश करते हुए उसे आशीष देना। 13  यदि उस घर के लोग योग्य होंगे तो तुम्हारा कल्याण उन पर पहुँचेगा परन्तु यदि वे योग्य न हों तो तुम्हारा कल्याण तुम्हारे पास लौट आएगा। 14  और जो कोई तुम्हें ग्रहण न करे, और तुम्हारी बातें न सुने, उस घर या उस नगर से निकलते हुए अपने पाँवों की धूल झाड़ डालो। 15  मैं तुम से सच कहता हूँ, कि न्याय के दिन उस नगर की दशा से सदोम और गमोरा के नगरों की दशा अधिक सहने योग्य होगी।
आनेवाला कठिन समय
16  “देखो, मैं तुम्हें भेड़ों की तरह भेड़ियों के बीच में भेजता हूँ इसलिए साँपों की तरह बुद्धिमान और कबूतरों की तरह भोले बनो। 17  परन्तु लोगों से सावधान रहो, क्योंकि वे तुम्हें सभाओं में सौंपेंगे, और अपने आराधनालयों में तुम्हें कोड़े मारेंगे। 18  तुम मेरे लिये राज्यपालों और राजाओं के सामने उन पर, और अन्यजातियों पर गवाह होने के लिये पेश किए जाओगे। 19  जब वे तुम्हें पकड़वाएँगे तो यह चिन्ता न करना, कि तुम कैसे बोलोगे और क्या कहोगे; क्योंकि जो कुछ तुम को कहना होगा, वह उसी समय तुम्हें बता दिया जाएगा। 20  क्योंकि बोलनेवाले तुम नहीं हो परन्तु तुम्हारे पिता का आत्मा तुम्हारे द्वारा बोलेगा।
21  “भाई अपने भाई को और पिता अपने पुत्र को, मरने के लिये सौंपेंगे, और बच्चे माता-पिता के विरोध में उठकर उन्हें मरवा डालेंगे।(मीका 7:6) 22  मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे, पर जो अन्त तक धीरज धरेगा उसी का उद्धार होगा। 23  जब वे तुम्हें एक नगर में सताएँ, तो दूसरे को भाग जाना। मैं तुम से सच कहता हूँ, तुम मनुष्य के पुत्र के आने से पहले इस्राएल के सब नगरों में से गए भी न होंगे।
चेला होने का अर्थ
24  “चेला अपने गुरु से बड़ा नहीं; और न ही दास अपने स्वामी से। 25  चेले का गुरु के, और दास का स्वामी के बराबर होना ही बहुत है; जब उन्होंने घर के स्वामी को शैतान 10:25 शैतान: “दुष्टात्माओं का राजकुमार” (मत्ती 12:24)। उसे बाल-जबूल भी कहा गया है- एक्रोनियों का मक्खी देवता।कहा तो उसके घरवालों को क्यों न कहेंगे?
किस से डरे?
26  “इसलिए उनसे मत डरना, क्योंकि कुछ ढँका नहीं, जो खोला न जाएगा; और न कुछ छिपा है, जो जाना न जाएगा। 27  जो मैं तुम से अंधियारे में कहता हूँ, उसे उजियाले में कहो; और जो कानों कान सुनते हो, उसे छतों पर से प्रचार करो। 28  जो शरीर को मार सकते हैं, पर आत्मा को मार नहीं सकते, उनसे मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है। 29  क्या एक पैसे में दो गौरैये नहीं बिकती? फिर भी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उनमें से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। 30  तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं।(लूका 12:7) 31  इसलिए, डरो नहीं; तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर मूल्यवान हो।
यीशु को स्वीकार या अस्वीकार करना
32  “जो कोई मनुष्यों के सामने मुझे मान लेगा, उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने मान लूँगा। 33  पर जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा इन्कार करेगा उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने इन्कार करूँगा।
34  “यह न समझो, कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने को आया हूँ; मैं मिलाप कराने को नहीं, पर तलवार चलवाने आया हूँ। 35  मैं तो आया हूँ, कि मनुष्य को उसके पिता से, और बेटी को उसकी माँ से, और बहू को उसकी सास से अलग कर दूँ। 36  मनुष्य के बैरी उसके घर ही के लोग होंगे।
37  “जो माता या पिता को मुझसे अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं और जो बेटा या बेटी को मुझसे अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं।(लूका 14:26) 38  और जो अपना क्रूस लेकर§ 10:38 अपना क्रूस लेकर: “क्रूस उठाना” एक मुहावरा है जिसका अभिप्राय है, किसी बोझिल काम को करना या उसका यत्न करना या मसीह के अनुसरण में अपमान जनक माना जाता है।मेरे पीछे न चले वह मेरे योग्य नहीं। 39  जो अपने प्राण बचाता है, वह उसे खोएगा; और जो मेरे कारण अपना प्राण खोता है, वह उसे पाएगा।
प्रतिफल
40  “जो तुम्हें ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है; और जो मुझे ग्रहण करता है, वह मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है। 41  जो भविष्यद्वक्ता को भविष्यद्वक्ता जानकर ग्रहण करे, वह भविष्यद्वक्ता का बदला पाएगा; और जो धर्मी जानकर धर्मी को ग्रहण करे, वह धर्मी का बदला पाएगा। 42  जो कोई इन छोटों में से एक को चेला जानकर केवल एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए, मैं तुम से सच कहता हूँ, वह अपना पुरस्कार कभी नहीं खोएगा।”

*10:2 10:2 प्रेरितों: प्रेरित शब्द यूनानी भाषा “अपोसतोलॉस” शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ, “वह जो भेजा जाता है।”

10:4 10:4 शमौन कनानी: वह एक प्राचीन यहूदी समुदाय का सदस्य था, इस समुदाय का लक्ष्य विश्व यहूदी साम्राज्य की स्थापना करना और इसी कारण वे सन 70 तक रोमी साम्राज्य के कट्टर विरोधी थे।

10:25 10:25 शैतान: “दुष्टात्माओं का राजकुमार” (मत्ती 12:24)। उसे बाल-जबूल भी कहा गया है- एक्रोनियों का मक्खी देवता।

§10:38 10:38 अपना क्रूस लेकर: “क्रूस उठाना” एक मुहावरा है जिसका अभिप्राय है, किसी बोझिल काम को करना या उसका यत्न करना या मसीह के अनुसरण में अपमान जनक माना जाता है।