स्तोत्र
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स्तोत्र 117
1
समस्त राष्ट्रो, याहवेह का स्तवन करो;
सभी उनका गुणगान करें.
2
इसलिये कि हमारे प्रति उनका करुणा-प्रेम अप्रतिम है,
तथा उनकी सच्चाई सर्वदा है.
याहवेह का स्तवन हो.
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