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दाऊद साऊल को क़त्ल करने से इनकार करता है
जब साऊल फ़िलिस्तियों का ताक़्क़ुब करने से वापस आया तो उसे ख़बर मिली कि दाऊद ऐन-जदी के रेगिस्तान में है। वह तमाम इसराईल के 3,000 चीदा फ़ौजियों को लेकर पहाड़ी बकरियों की चटानों के लिए रवाना हुआ ताकि दाऊद को पकड़ ले।
चलते चलते वह भेड़ों के कुछ बाड़ों से गुज़रने लगे। वहाँ एक ग़ार को देखकर साऊल अंदर गया ताकि अपनी हाजत रफ़ा करे। इत्तफ़ाक़ से दाऊद और उसके आदमी उसी ग़ार के पिछले हिस्से में छुपे बैठे थे। दाऊद के आदमियों ने आहिस्ता से उससे कहा, “रब ने तो आपसे वादा किया था, ‘मैं तेरे दुश्मन को तेरे हवाले कर दूँगा, और तू जो जी चाहे उसके साथ कर सकेगा।’ अब यह वक़्त आ गया है!” दाऊद रेंगते रेंगते आगे साऊल के क़रीब पहुँच गया। चुपके से उसने साऊल के लिबास के किनारे का टुकड़ा काट लिया और फिर वापस आ गया। लेकिन जब अपने लोगों के पास पहुँचा तो उसका ज़मीर उसे मलामत करने लगा। उसने अपने आदमियों से कहा, “रब न करे कि मैं अपने आक़ा के साथ ऐसा सुलूक करके रब के मसह किए हुए बादशाह को हाथ लगाऊँ। क्योंकि रब ने ख़ुद उसे मसह करके चुन लिया है।” यह कहकर दाऊद ने उनको समझाया और उन्हें साऊल पर हमला करने से रोक दिया।
थोड़ी देर के बाद साऊल ग़ार से निकलकर आगे चलने लगा। जब वह कुछ फ़ासले पर था तो दाऊद भी निकला और पुकार उठा, “ऐ बादशाह सलामत, ऐ मेरे आक़ा!” साऊल ने पीछे देखा तो दाऊद मुँह के बल झुककर बोला, “जब लोग आपको बताते हैं कि दाऊद आपको नुक़सान पहुँचाने पर तुला हुआ है तो आप क्यों ध्यान देते हैं? 10 आज आप अपनी आँखों से देख सकते हैं कि यह झूट ही झूट है। ग़ार में आप अल्लाह की मरज़ी से मेरे क़ब्ज़े में आ गए थे। मेरे लोगों ने ज़ोर दिया कि मैं आपको मार दूँ, लेकिन मैंने आपको न छेड़ा। मैं बोला, ‘मैं कभी भी बादशाह को नुक़सान नहीं पहुँचाऊँगा, क्योंकि रब ने ख़ुद उसे मसह करके चुन लिया है।’ 11 मेरे बाप, यह देखें जो मेरे हाथ में है! आपके लिबास का यह टुकड़ा मैं काट सका, और फिर भी मैंने आपको हलाक न किया। अब जान लें कि न मैं आपको नुक़सान पहुँचाने का इरादा रखता हूँ, न मैंने आपका गुनाह किया है। फिर भी आप मेरा ताक़्क़ुब करते हुए मुझे मार डालने के दरपै हैं। 12 रब ख़ुद फ़ैसला करे कि किससे ग़लती हो रही है, आपसे या मुझ से। वही आपसे मेरा बदला ले। लेकिन ख़ुद मैं कभी आप पर हाथ नहीं उठाऊँगा। 13 क़दीम क़ौल यही बात बयान करता है, ‘बदकारों से बदकारी पैदा होती है।’ मेरी नीयत तो साफ़ है, इसलिए मैं कभी ऐसा नहीं करूँगा। 14 इसराईल का बादशाह किसके ख़िलाफ़ निकल आया है? जिसका ताक़्क़ुब आप कर रहे हैं उस की तो कोई हैसियत नहीं। वह मुरदा कुत्ता या पिस्सू ही है। 15 रब हमारा मुंसिफ़ हो। वही हम दोनों का फ़ैसला करे। वह मेरे मामले पर ध्यान दे, मेरे हक़ में बात करे और मुझे बेइलज़ाम ठहराकर आपके हाथ से बचाए।”
16 दाऊद ख़ामोश हुआ तो साऊल ने पूछा, “दाऊद मेरे बेटे, क्या आपकी आवाज़ है?” और वह फूट फूटकर रोने लगा। 17 उसने कहा, “आप मुझसे ज़्यादा रास्तबाज़ हैं। आपने मुझसे अच्छा सुलूक किया जबकि मैं आपसे बुरा सुलूक करता रहा हूँ। 18 आज आपने मेरे साथ भलाई का सबूत दिया, क्योंकि गो रब ने मुझे आपके हवाले कर दिया था तो भी आपने मुझे हलाक न किया। 19 जब किसी का दुश्मन उसके क़ब्ज़े में आ जाता है तो वह उसे जाने नहीं देता। लेकिन आपने ऐसा ही किया। रब आपको उस मेहरबानी का अज्र दे जो आपने आज मुझ पर की है। 20 अब मैं जानता हूँ कि आप ज़रूर बादशाह बन जाएंगे, और कि आपके ज़रीए इसराईल की बादशाही क़ायम रहेगी। 21 चुनाँचे रब की क़सम खाकर मुझसे वादा करें कि न आप मेरी औलाद को हलाक करेंगे, न मेरे आबाई घराने में से मेरा नाम मिटा देंगे।”
22 दाऊद ने क़सम खाकर साऊल से वादा किया। फिर साऊल अपने घर चला गया जबकि दाऊद ने अपने लोगों के साथ एक पहाड़ी क़िले में पनाह ले ली।