8
यहूदिया के ग़रीबों के लिए हदिया
1 भाइयो, हम आपकी तवज्जुह उस फ़ज़ल की तरफ़ दिलाना चाहते हैं जो अल्लाह ने सूबा मकिदुनिया की जमातों पर किया। 2 जिस मुसीबत में वह फँसे हुए हैं उससे उनकी सख़्त आज़माइश हुई। तो भी उनकी बेइंतहा ख़ुशी और शदीद ग़ुरबत का नतीजा यह निकला कि उन्होंने बड़ी फ़ैयाज़दिली से हदिया दिया। 3 मैं गवाह हूँ कि जितना वह दे सके उतना उन्होंने दे दिया बल्कि इससे भी ज़्यादा। अपनी ही तरफ़ से 4 उन्होंने बड़े ज़ोर से हमसे मिन्नत की कि हमें भी यहूदिया के मुक़द्दसीन की ख़िदमत करने का मौक़ा दें, हम भी देने के फ़ज़ल में शरीक होना चाहते हैं। 5 और उन्होंने हमारी उम्मीद से कहीं ज़्यादा किया! अल्लाह की मरज़ी से उनका पहला क़दम यह था कि उन्होंने अपने आपको ख़ुदावंद के लिए मख़सूस किया। उनका दूसरा क़दम यह था कि उन्होंने अपने आपको हमारे लिए मख़सूस किया। 6 इस पर हमने तितुस की हौसलाअफ़्ज़ाई की कि वह आपके पास भी हदिया जमा करने का वह सिलसिला अंजाम तक पहुँचाए जो उसने शुरू किया था। 7 आपके पास सब कुछ कसरत से पाया जाता है, ख़ाह ईमान हो, ख़ाह कलाम, इल्म, मुकम्मल सरगरमी या हमसे मुहब्बत हो। अब इस बात का ख़याल रखें कि आप यह हदिया देने में भी अपनी कसीर दौलत का इज़हार करें।
8 मेरी तरफ़ से यह कोई हुक्म नहीं है। लेकिन दूसरों की सरगरमी के पेशे-नज़र मैं आपकी भी मुहब्बत परख रहा हूँ कि वह कितनी हक़ीक़ी है। 9 आप तो जानते हैं कि हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह ने आप पर कैसा फ़ज़ल किया है, कि अगरचे वह दौलतमंद था तो भी वह आपकी ख़ातिर ग़रीब बन गया ताकि आप उस की ग़ुरबत से दौलतमंद बन जाएँ।
10 इस मामले में मेरा मशवरा सुनें, क्योंकि वह आपके लिए मुफ़ीद साबित होगा। पिछले साल आप पहली जमात थे जो न सिर्फ़ हदिया देने लगी बल्कि इसे देना भी चाहती थी। 11 अब उसे तकमील तक पहुँचाएँ जो आपने शुरू कर रखा है। देने का जो शौक़ आप रखते हैं वह अमल में लाया जाए। उतना दें जितना आप दे सकें। 12 क्योंकि अगर आप देने का शौक़ रखते हैं तो फिर अल्लाह आपका हदिया उस बिना पर क़बूल करेगा जो आप दे सकते हैं, उस बिना पर नहीं जो आप नहीं दे सकते।
13 कहने का मतलब यह नहीं कि दूसरों को आराम दिलाने के बाइस आप ख़ुद मुसीबत में पड़ जाएँ। बात सिर्फ़ यह है कि लोगों के हालात कुछ बराबर होने चाहिएँ। 14 इस वक़्त तो आपके पास बहुत है और आप उनकी ज़रूरत पूरी कर सकते हैं। बाद में किसी वक़्त जब उनके पास बहुत होगा तो वह आपकी ज़रूरत भी पूरी कर सकेंगे। यों आपके हालात कुछ बराबर रहेंगे, 15 जिस तरह कलामे-मुक़द्दस में भी लिखा है, “जिसने ज़्यादा जमा किया था उसके पास कुछ न बचा। लेकिन जिसने कम जमा किया था उसके पास भी काफ़ी था।”
तितुस और उसके साथी
16 ख़ुदा का शुक्र है जिसने तितुस के दिल में वही जोश पैदा किया है जो मैं आपके लिए रखता हूँ। 17 जब हमने उस की हौसलाअफ़्ज़ाई की कि वह आपके पास जाए तो वह न सिर्फ़ इसके लिए तैयार हुआ बल्कि बड़ा सरगरम होकर ख़ुद बख़ुद आपके पास जाने के लिए रवाना हुआ। 18 हमने उसके साथ उस भाई को भेज दिया जिसकी ख़िदमत की तारीफ़ तमाम जमातें करती हैं, क्योंकि उसे अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाने की नेमत मिली है। 19 उसे न सिर्फ़ आपके पास जाना है बल्कि जमातों ने उसे मुक़र्रर किया है कि जब हम हदिये को यरूशलम ले जाएंगे तो वह हमारे साथ जाए। यों हम यह ख़िदमत अदा करते वक़्त ख़ुदावंद को जलाल देंगे और अपनी सरगरमी का इज़हार करेंगे।
20 क्योंकि उस बड़े हदिये के पेशे-नज़र जो हम ले जाएंगे हम इससे बचना चाहते हैं कि किसी को हम पर शक करने का मौक़ा मिले। 21 हमारी पूरी कोशिश यह है कि वही कुछ करें जो न सिर्फ़ ख़ुदावंद की नज़र में दुरुस्त है बल्कि इनसान की नज़र में भी।
22 उनके साथ हमने एक और भाई को भी भेज दिया जिसकी सरगरमी हमने कई मौक़ों पर परखी है। अब वह मज़ीद सरगरम हो गया है, क्योंकि वह आप पर बड़ा एतमाद करता है। 23 जहाँ तक तितुस का ताल्लुक़ है, वह मेरा साथी और हमख़िदमत है। और जो भाई उसके साथ हैं उन्हें जमातों ने भेजा है। वह मसीह के लिए इज़्ज़त का बाइस हैं। 24 उन पर अपनी मुहब्बत का इज़हार करके यह ज़ाहिर करें कि हम आप पर क्यों फ़ख़र करते हैं। फिर यह बात ख़ुदा की दीगर जमातों को भी नज़र आएगी।