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रब के नए घर की रोया
1 हमारी जिलावतनी के 25वें साल में रब का हाथ मुझ पर आ ठहरा और वह मुझे यरूशलम ले गया। महीने का दसवाँ दिन *28 अप्रैल। था। उस वक़्त यरूशलम को दुश्मन के क़ब्ज़े में आए 14 साल हो गए थे। 2 इलाही रोयाओं में अल्लाह ने मुझे मुल्के-इसराईल के एक निहायत बुलंद पहाड़ पर पहुँचाया। पहाड़ के जुनूब में मुझे एक शहर-सा नज़र आया। 3 अल्लाह मुझे शहर के क़रीब ले गया तो मैंने शहर के दरवाज़े में खड़े एक आदमी को देखा जो पीतल का बना हुआ लग रहा था। उसके हाथ में कतान की रस्सी और फ़ीता था। 4 उसने मुझसे कहा, “ऐ आदमज़ाद, ध्यान से देख, ग़ौर से सुन! जो कुछ भी मैं तुझे दिखाऊँगा, उस पर तवज्जुह दे। क्योंकि तुझे इसी लिए यहाँ लाया गया है कि मैं तुझे यह दिखाऊँ। जो कुछ भी तू देखे उसे इसराईली क़ौम को सुना दे!”
रब के घर के बैरूनी सहन का मशरिक़ी दरवाज़ा
5 मैंने देखा कि रब के घर का सहन चारदीवारी से घिरा हुआ है। जो फ़ीता मेरे राहनुमा के हाथ में था उस की लंबाई साढ़े 10 फ़ुट थी। इसके ज़रीए उसने चारदीवारी को नाप लिया। दीवार की मोटाई और ऊँचाई दोनों साढ़े दस दस फ़ुट थी।
6 फिर मेरा राहनुमा मशरिक़ी दरवाज़े के पास पहुँचानेवाली सीढ़ी पर चढ़कर दरवाज़े की दहलीज़ पर रुक गया। जब उसने उस की पैमाइश की तो उस की गहराई साढ़े 10 फ़ुट निकली।
7 जब वह दरवाज़े में खड़ा हुआ तो दाईं और बाईं तरफ़ पहरेदारों के तीन तीन कमरे नज़र आए। हर कमरे की लंबाई और चौड़ाई साढ़े दस दस फ़ुट थी। कमरों के दरमियान की दीवार पौने नौ फ़ुट मोटी थी। इन कमरों के बाद एक और दहलीज़ थी जो साढ़े 10 फ़ुट गहरी थी। उस पर से गुज़रकर हम दरवाज़े से मुलहिक़ एक बरामदे में आए जिसका रुख़ रब के घर की तरफ़ था। 8 मेरे राहनुमा ने बरामदे की पैमाइश की 9 तो पता चला कि उस की लंबाई 14 फ़ुट है। दरवाज़े के सतून-नुमा बाज़ू साढ़े तीन तीन फ़ुट मोटे थे। बरामदे का रुख़ रब के घर की तरफ़ था। 10 पहरेदारों के मज़कूरा कमरे सब एक जैसे बड़े थे, और उनके दरमियानवाली दीवारें सब एक जैसी मोटी थीं।
11 इसके बाद उसने दरवाज़े की गुज़रगाह की चौड़ाई नापी। यह मिल मिलाकर पौने 23 फ़ुट थी, अलबत्ता जब किवाड़ खुले थे तो उनके दरमियान का फ़ासला साढ़े 17 फ़ुट था। 12 पहरेदारों के हर कमरे के सामने एक छोटी-सी दीवार थी जिसकी ऊँचाई 21 इंच थी जबकि हर कमरे की लंबाई और ऊँचाई साढ़े दस दस फ़ुट थी। 13 फिर मेरे राहनुमा ने वह फ़ासला नापा जो इन कमरों में से एक की पिछली दीवार से लेकर उसके मुक़ाबिल के कमरे की पिछली दीवार तक था। मालूम हुआ कि पौने 44 फ़ुट है।
14 सहन में दरवाज़े से मुलहिक़ वह बरामदा था जिसका रुख़ रब के घर की तरफ़ था। उस की चौड़ाई 33 फ़ुट थी। †इबरानी मतन में इस आयत का मतलब ग़ैरवाज़िह है। 15 जो बाहर से दरवाज़े में दाख़िल होता था वह साढ़े 87 फ़ुट के बाद ही सहन में पहुँचता था।
16 पहरेदारों के तमाम कमरों में छोटी खिड़कियाँ थीं। कुछ बैरूनी दीवार में थीं, कुछ कमरों के दरमियान की दीवारों में। दरवाज़े के सतून-नुमा बाज़ुओं में खजूर के दरख़्त मुनक़्क़श थे।
रब के घर का बैरूनी सहन
17 फिर मेरा राहनुमा दरवाज़े में से गुज़रकर मुझे रब के घर के बैरूनी सहन में लाया। चारदीवारी के साथ साथ 30 कमरे बनाए गए थे जिनके सामने पत्थर का फ़र्श था। 18 यह फ़र्श चारदीवारी के साथ साथ था। जहाँ दरवाज़ों की गुज़रगाहें थीं वहाँ फ़र्श उनकी दीवारों से लगता था। जितना लंबा इन गुज़रगाहों का वह हिस्सा था जो सहन में था उतना ही चौड़ा फ़र्श भी था। यह फ़र्श अंदरूनी सहन की निसबत नीचा था।
19 बैरूनी और अंदरूनी सहनों के दरमियान भी दरवाज़ा था। यह बैरूनी दरवाज़े के मुक़ाबिल था। जब मेरे राहनुमा ने दोनों दरवाज़ों का दरमियानी फ़ासला नापा तो मालूम हुआ कि 175 फ़ुट है।
बैरूनी सहन का शिमाली दरवाज़ा
20 इसके बाद उसने चारदीवारी के शिमाली दरवाज़े की पैमाइश की।
21 इस दरवाज़े में भी दाईं और बाईं तरफ़ तीन तीन कमरे थे जो मशरिक़ी दरवाज़े के कमरों जितने बड़े थे। उसमें से गुज़रकर हम वहाँ भी दरवाज़े से मुलहिक़ बरामदे में आए जिसका रुख़ रब के घर की तरफ़ था। उस की और उसके सतून-नुमा बाज़ुओं की लंबाई और चौड़ाई उतनी ही थी जितनी मशरिक़ी दरवाज़े के बरामदे और उसके सतून-नुमा बाज़ुओं की थी। गुज़रगाह की पूरी लंबाई साढ़े 87 फ़ुट थी। जब मेरे राहनुमा ने वह फ़ासला नापा जो पहरेदारों के कमरों में से एक की पिछली दीवार से लेकर उसके मुक़ाबिल के कमरे की पिछली दीवार तक था तो मालूम हुआ कि पौने 44 फ़ुट है। 22 दरवाज़े से मुलहिक़ बरामदा, खिड़कियाँ और कंदा किए गए खजूर के दरख़्त उसी तरह बनाए गए थे जिस तरह मशरिक़ी दरवाज़े में। बाहर एक सीढ़ी दरवाज़े तक पहुँचाती थी जिसके सात क़दमचे थे। मशरिक़ी दरवाज़े की तरह शिमाली दरवाज़े के अंदरूनी सिरे के साथ एक बरामदा मुलहिक़ था जिससे होकर इनसान सहन में पहुँचता था।
23 मशरिक़ी दरवाज़े की तरह इस दरवाज़े के मुक़ाबिल भी अंदरूनी सहन में पहुँचानेवाला दरवाज़ा था। दोनों दरवाज़ों का दरमियानी फ़ासला 175 फ़ुट था।
बैरूनी सहन का जुनूबी दरवाज़ा
24 इसके बाद मेरा राहनुमा मुझे बाहर ले गया। चलते चलते हम जुनूबी चारदीवारी के पास पहुँचे। वहाँ भी दरवाज़ा नज़र आया। उसमें से गुज़रकर हम वहाँ भी दरवाज़े से मुलहिक़ बरामदे में आए जिसका रुख़ रब के घर की तरफ़ था। यह बरामदा दरवाज़े के सतून-नुमा बाज़ुओं समेत दीगर दरवाज़ों के बरामदे जितना बड़ा था। 25 दरवाज़े और बरामदे की खिड़कियाँ भी दीगर खिड़कियों की मानिंद थीं। गुज़रगाह की पूरी लंबाई साढ़े 87 फ़ुट थी। जब उसने वह फ़ासला नापा जो पहरेदारों के कमरों में से एक की पिछली दीवार से लेकर उसके मुक़ाबिल के कमरे की पिछली दीवार तक था तो मालूम हुआ कि पौने 44 फ़ुट है। 26 बाहर एक सीढ़ी दरवाज़े तक पहुँचाती थी जिसके सात क़दमचे थे। दीगर दरवाज़ों की तरह जुनूबी दरवाज़े के अंदरूनी सिरे के साथ बरामदा मुलहिक़ था जिससे होकर इनसान सहन में पहुँचता था। बरामदे के दोनों सतून-नुमा बाज़ुओं पर खजूर के दरख़्त कंदा किए गए थे।
27 इस दरवाज़े के मुक़ाबिल भी अंदरूनी सहन में पहुँचानेवाला दरवाज़ा था। दोनों दरवाज़ों का दरमियानी फ़ासला 175 फ़ुट था।
अंदरूनी सहन का जुनूबी दरवाज़ा
28 फिर मेरा राहनुमा जुनूबी दरवाज़े में से गुज़रकर मुझे अंदरूनी सहन में लाया। जब उसने वहाँ का दरवाज़ा नापा तो मालूम हुआ कि वह बैरूनी दरवाज़ों की मानिंद है। 29-30 पहरेदारों के कमरे, बरामदा और उसके सतून-नुमा बाज़ू सब पैमाइश के हिसाब से दीगर दरवाज़ों की मानिंद थे। इस दरवाज़े और इसके साथ मुलहिक़ बरामदे में भी खिड़कियाँ थीं। गुज़रगाह की पूरी लंबाई साढ़े 87 फ़ुट थी। जब मेरे राहनुमा ने वह फ़ासला नापा जो पहरेदारों के कमरे में से एक की पिछली दीवार से लेकर उसके मुक़ाबिल के कमरे की पिछली दीवार तक था तो मालूम हुआ कि पौने 44 फ़ुट है। 31 लेकिन उसके बरामदे का रुख़ बैरूनी सहन की तरफ़ था। उसमें पहुँचने के लिए एक सीढ़ी बनाई गई थी जिसके आठ क़दमचे थे। दरवाज़े के सतून-नुमा बाज़ुओं पर खजूर के दरख़्त कंदा किए गए थे।
अंदरूनी सहन का मशरिक़ी दरवाज़ा
32 इसके बाद मेरा राहनुमा मुझे मशरिक़ी दरवाज़े से होकर अंदरूनी सहन में लाया। जब उसने यह दरवाज़ा नापा तो मालूम हुआ कि यह भी दीगर दरवाज़ों जितना बड़ा है। 33 पहरेदारों के कमरे, दरवाज़े के सतून-नुमा बाज़ू और बरामदा पैमाइश के हिसाब से दीगर दरवाज़ों की मानिंद थे। यहाँ भी दरवाज़े और बरामदे में खिड़कियाँ लगी थीं। गुज़रगाह की लंबाई साढ़े 87 फ़ुट और चौड़ाई पौने 44 फ़ुट थी। 34 इस दरवाज़े के बरामदे का रुख़ भी बैरूनी सहन की तरफ़ था। दरवाज़े के सतून-नुमा बाज़ुओं पर खजूर के दरख़्त कंदा किए गए थे। बरामदे में पहुँचने के लिए एक सीढ़ी बनाई गई थी जिसके आठ क़दमचे थे।
अंदरूनी सहन का शिमाली दरवाज़ा
35 फिर मेरा राहनुमा मुझे शिमाली दरवाज़े के पास लाया। उस की पैमाइश करने पर मालूम हुआ कि यह भी दीगर दरवाज़ों जितना बड़ा है। 36 पहरेदारों के कमरे, सतून-नुमा बाज़ू, बरामदा और दीवारों में खिड़कियाँ भी दूसरे दरवाज़ों की मानिंद थीं। गुज़रगाह की लंबाई साढ़े 87 फ़ुट और चौड़ाई पौने 44 फ़ुट थी। 37 उसके बरामदे का रुख़ भी बैरूनी सहन की तरफ़ था। दरवाज़े के सतून-नुमा बाज़ुओं पर खजूर के दरख़्त कंदा किए गए थे। उसमें पहुँचने के लिए एक सीढ़ी बनाई गई थी जिसके आठ क़दमचे थे।
अंदरूनी शिमाली दरवाज़े के पास ज़बह का बंदोबस्त
38 अंदरूनी शिमाली दरवाज़े के बरामदे में दरवाज़ा था जिसमें से गुज़रकर इनसान उस कमरे में दाख़िल होता था जहाँ उन ज़बह किए हुए जानवरों को धोया जाता था जिन्हें भस्म करना होता था। 39 बरामदे में चार मेज़ें थीं, कमरे के दोनों तरफ़ दो दो मेज़ें। इन मेज़ों पर उन जानवरों को ज़बह किया जाता था जो भस्म होनेवाली क़ुरबानियों, गुनाह की क़ुरबानियों और क़ुसूर की क़ुरबानियों के लिए मख़सूस थे। 40 इस बरामदे से बाहर मज़ीद चार ऐसी मेज़ें थीं, दो एक तरफ़ और दो दूसरी तरफ़। 41 मिल मिलाकर आठ मेज़ें थीं जिन पर क़ुरबानियों के जानवर ज़बह किए जाते थे। चार बरामदे के अंदर और चार उससे बाहर के सहन में थीं।
42 बरामदे की चार मेज़ें तराशे हुए पत्थर से बनाई गई थीं। हर एक की लंबाई और चौड़ाई साढ़े 31 इंच और ऊँचाई 21 इंच थी। उन पर वह तमाम आलात पड़े थे जो जानवरों को भस्म होनेवाली क़ुरबानी और बाक़ी क़ुरबानियों के लिए तैयार करने के लिए दरकार थे। 43 जानवरों का गोश्त इन मेज़ों पर रखा जाता था। इर्दगिर्द की दीवारों में तीन तीन इंच लंबी हुकें लगी थीं।
44 फिर हम अंदरूनी सहन में दाख़िल हुए। वहाँ शिमाली दरवाज़े के साथ एक कमरा मुलहिक़ था जो अंदरूनी सहन की तरफ़ खुला था और जिसका रुख़ जुनूब की तरफ़ था। जुनूबी दरवाज़े के साथ भी ऐसा कमरा था। उसका रुख़ शिमाल की तरफ़ था। 45 मेरे राहनुमा ने मुझसे कहा, “जिस कमरे का रुख़ जुनूब की तरफ़ है वह उन इमामों के लिए है जो रब के घर की देख-भाल करते हैं, 46 जबकि जिस कमरे का रुख़ शिमाल की तरफ़ है वह उन इमामों के लिए है जो क़ुरबानगाह की देख-भाल करते हैं। तमाम इमाम सदोक़ की औलाद हैं। लावी के क़बीले में से सिर्फ़ उन्हीं को रब के हुज़ूर आकर उस की ख़िदमत करने की इजाज़त है।”
अंदरूनी सहन और रब का घर
47 मेरे राहनुमा ने अंदरूनी सहन की पैमाइश की। उस की लंबाई और चौड़ाई पौने दो दो सौ फ़ुट थी। क़ुरबानगाह इस सहन में रब के घर के सामने ही थी। 48 फिर उसने मुझे रब के घर के बरामदे में ले जाकर दरवाज़े के सतून-नुमा बाज़ुओं की पैमाइश की। मालूम हुआ कि यह पौने 9 फ़ुट मोटे हैं। दरवाज़े की चौड़ाई साढ़े 24 फ़ुट थी जबकि दाएँ बाएँ की दीवारों की लंबाई सवा पाँच पाँच फ़ुट थी। 49 चुनाँचे बरामदे की पूरी चौड़ाई 35 और लंबाई 21 फ़ुट थी। उसमें दाख़िल होने के लिए दस क़दमचोंवाली सीढ़ी बनाई गई थी। दरवाज़े के दोनों सतून-नुमा बाज़ुओं के साथ साथ एक एक सतून खड़ा किया गया था।