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शाहे-यहूदाह सिदक़ियाह की हुकूमत
सिदक़ियाह 21 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया 11 साल था। उस की माँ हमूतल बिंत यरमियाह लिबना शहर की रहनेवाली थी। यहूयक़ीम की तरह सिदक़ियाह ऐसा काम करता रहा जो रब को नापसंद था। रब यरूशलम और यहूदाह के बाशिंदों से इतना नाराज़ हुआ कि आख़िर में उसने उन्हें अपने हुज़ूर से ख़ारिज कर दिया।
सिदक़ियाह का फ़रार और गिरिफ़्तारी
एक दिन सिदक़ियाह बाबल के बादशाह से सरकश हुआ, इसलिए शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र तमाम फ़ौज अपने साथ लेकर दुबारा यरूशलम पहुँचा ताकि उस पर हमला करे।
सिदक़ियाह की हुकूमत के नवें साल में बाबल की फ़ौज यरूशलम का मुहासरा करने लगी। यह काम दसवें महीने के दसवें दिन *15 जनवरी। शुरू हुआ। पूरे शहर के इर्दगिर्द बादशाह ने पुश्ते बनवाए। सिदक़ियाह की हुकूमत के 11वें साल तक यरूशलम क़ायम रहा। लेकिन फिर काल ने शहर में ज़ोर पकड़ा, और अवाम के लिए खाने की चीज़ें न रहीं।
चौथे महीने के नवें दिन 18 जुलाई। बाबल के फ़ौजियों ने फ़सील में रख़ना डाल दिया। उसी रात सिदक़ियाह अपने तमाम फ़ौजियों समेत फ़रार होने में कामयाब हुआ, अगरचे शहर दुश्मन से घिरा हुआ था। वह फ़सील के उस दरवाज़े से निकले जो शाही बाग़ के साथ मुलहिक़ दो दीवारों के बीच में था। वह वादीए-यरदन की तरफ़ भागने लगे, लेकिन बाबल की फ़ौज ने बादशाह का ताक़्क़ुब करके उसे यरीहू के मैदान में पकड़ लिया। उसके फ़ौजी उससे अलग होकर चारों तरफ़ मुंतशिर हो गए, और वह ख़ुद गिरिफ़्तार हो गया। फिर उसे मुल्के-हमात के शहर रिबला में शाहे-बाबल के पास लाया गया, और वहीं उसने सिदक़ियाह पर फ़ैसला सादिर किया। 10 सिदक़ियाह के देखते देखते शाहे-बाबल ने रिबला में उसके बेटों को क़त्ल किया। साथ साथ उसने यहूदाह के तमाम बुज़ुर्गों को भी मौत के घाट उतार दिया। 11 फिर उसने सिदक़ियाह की आँखें निकलवाकर उसे पीतल की ज़ंजीरों में जकड़ लिया और बाबल ले गया जहाँ वह जीते-जी रहा।
यरूशलम और रब के घर की तबाही
12 शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र की हुकूमत के 19वें साल में बादशाह का ख़ास अफ़सर नबूज़रादान यरूशलम पहुँचा। वह शाही मुहाफ़िज़ों पर मुक़र्रर था। पाँचवें महीने के सातवें दिन 17 अगस्त। उसने आकर 13 रब के घर, शाही महल और यरूशलम के तमाम मकानों को जला दिया। हर बड़ी इमारत भस्म हो गई। 14 उसने अपने तमाम फ़ौजियों से शहर की पूरी फ़सील को भी गिरा दिया। 15 फिर नबूज़रादान ने सबको जिलावतन कर दिया जो यरूशलम में पीछे रह गए थे। वह भी उनमें शामिल थे जो जंग के दौरान ग़द्दारी करके शाहे-बाबल के पीछे लग गए थे। नबूज़रादान बाक़ीमाँदा कारीगर और ग़रीबों में से भी कुछ बाबल ले गया। 16 लेकिन उसने सबसे निचले तबक़े के बाज़ लोगों को मुल्के-यहूदाह में छोड़ दिया ताकि वह अंगूर के बाग़ों और खेतों को सँभालें।
17 बाबल के फ़ौजियों ने रब के घर में जाकर पीतल के दोनों सतूनों, पानी के बासनों को उठानेवाली हथगाड़ियों और समुंदर नामी पीतल के हौज़ को तोड़ दिया और सारा पीतल उठाकर बाबल ले गए। 18 वह रब के घर की ख़िदमत सरंजाम देने के लिए दरकार सामान भी ले गए यानी बालटियाँ, बेलचे, बत्ती कतरने के औज़ार, छिड़काव के कटोरे, प्याले और पीतल का बाक़ी सारा सामान। 19 ख़ालिस सोने और चाँदी के बरतन भी इसमें शामिल थे यानी बासन, जलते हुए कोयले के बरतन, छिड़काव के कटोरे, बालटियाँ, शमादान, प्याले और मै की नज़रें पेश करने के बरतन। शाही मुहाफ़िज़ों का यह अफ़सर सारा सामान उठाकर बाबल ले गया। 20 जब दोनों सतूनों, समुंदर नामी हौज़, हौज़ को उठानेवाले पीतल के बैलों और बासनों को उठानेवाली हथगाड़ियों का पीतल तुड़वाया गया तो वह इतना वज़नी था कि उसे तोला न जा सका। सुलेमान बादशाह ने यह चीज़ें रब के घर के लिए बनवाई थीं। 21 हर सतून की ऊँचाई 27 फ़ुट और घेरा 18 फ़ुट था। दोनों खोखले थे, और उनकी दीवारों की मोटाई 3 इंच थी। 22 उनके बालाई हिस्सों की ऊँचाई साढ़े सात फ़ुट थी, और वह पीतल की जाली और अनारों से सजे हुए थे। 23 96 अनार लगे हुए थे। जाली के इर्दगिर्द कुल 100 अनार लगे थे।
24 शाही मुहाफ़िज़ों के अफ़सर नबूज़रादान ने ज़ैल के क़ैदियों को अलग कर दिया : इमामे-आज़म सिरायाह, उसके बाद आनेवाले इमाम सफ़नियाह, रब के घर के तीन दरबानों, 25 शहर के बचे हुओं में से उस अफ़सर को जो शहर के फ़ौजियों पर मुक़र्रर था, सिदक़ियाह बादशाह के सात मुशीरों, उम्मत की भरती करनेवाले अफ़सर और शहर में मौजूद उसके 60 मर्दों को। 26 नबूज़रादान इन सबको अलग करके सूबा हमात के शहर रिबला ले गया जहाँ शाहे-बाबल था। 27 वहाँ नबूकदनज़्ज़र ने उन्हें सज़ाए-मौत दी।
यों यहूदाह के बाशिंदों को जिलावतन कर दिया गया। 28 नबूकदनज़्ज़र ने अपनी हुकूमत के 7वें साल में यहूदाह के 3,023 अफ़राद, 29 18वें साल में यरूशलम के 832 अफ़राद, 30 और 23वें साल में 745 अफ़राद को जिलावतन कर दिया। यह आख़िरी लोग शाही मुहाफ़िज़ों के अफ़सर नबूज़रादान के ज़रीए बाबल लाए गए। कुल 4,600 अफ़राद जिलावतन हुए।
यहूयाकीन को आज़ाद किया जाता है
31 यहूदाह के बादशाह यहूयाकीन की जिलावतनी के 37वें साल में अवील-मरूदक बाबल का बादशाह बना। उसी साल के 12वें महीने के 25वें दिन §31 मार्च। उसने यहूयाकीन को क़ैदख़ाने से आज़ाद कर दिया। 32 उसने उसके साथ नरम बातें करके उसे इज़्ज़त की ऐसी कुरसी पर बिठाया जो बाबल में जिलावतन किए गए बाक़ी बादशाहों की निसबत ज़्यादा अहम थी। 33 यहूयाकीन को क़ैदी के कपड़े उतारने की इजाज़त मिली, और उसे ज़िंदगी-भर बादशाह की मेज़ पर बाक़ायदगी से खाना खाने का शरफ़ हासिल रहा। 34 बादशाह ने मुक़र्रर किया कि यहूयाकीन को उम्र-भर इतना वज़ीफ़ा मिलता रहे कि उस की रोज़मर्रा ज़रूरियात पूरी होती रहें।

*52:4 15 जनवरी।

52:6 18 जुलाई।

52:12 17 अगस्त।

§52:31 31 मार्च।