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नापाक लोग ख़ैमागाह में नहीं रह सकते
रब ने मूसा से कहा, “इसराईलियों को हुक्म दे कि हर उस शख़्स को ख़ैमागाह से बाहर कर दो जिसको वबाई जिल्दी बीमारी है, जिसके ज़ख़मों से माए निकलता रहता है या जो किसी लाश को छूने से नापाक है। ख़ाह मर्द हो या औरत, सबको ख़ैमागाह के बाहर भेज देना ताकि वह ख़ैमागाह को नापाक न करें जहाँ मैं तुम्हारे दरमियान सुकूनत करता हूँ।” इसराईलियों ने वैसा ही किया जैसा रब ने मूसा को कहा था। उन्होंने रब के हुक्म के ऐन मुताबिक़ इस तरह के तमाम लोगों को ख़ैमागाह से बाहर कर दिया।
ग़लत काम का मुआवज़ा
रब ने मूसा से कहा, “इसराईलियों को हिदायत देना कि जो भी किसी से ग़लत सुलूक करे वह मेरे साथ बेवफ़ाई करता है और क़ुसूरवार है, ख़ाह मर्द हो या औरत। लाज़िम है कि वह अपना गुनाह तसलीम करे और उसका पूरा मुआवज़ा दे बल्कि मुतअस्सिरा शख़्स का नुक़सान पूरा करने के अलावा 20 फ़ीसद ज़्यादा दे। लेकिन अगर वह शख़्स जिसका क़ुसूर किया गया था मर चुका हो और उसका कोई वारिस न हो जो यह मुआवज़ा वसूल कर सके तो फिर उसे रब को देना है। इमाम को यह मुआवज़ा उस मेंढे के अलावा मिलेगा जो क़ुसूरवार अपने कफ़्फ़ारा के लिए देगा। 9-10 नीज़ इमाम को इसराईलियों की क़ुरबानियों में से वह कुछ मिलना है जो उठानेवाली क़ुरबानी के तौर पर उसे दिया जाता है। यह हिस्सा सिर्फ़ इमामों को ही मिलना है।”
ज़िना के शक पर अल्लाह का फ़ैसला
11 रब ने मूसा से कहा, 12 “इसराईलियों को बताना, हो सकता है कि कोई शादीशुदा औरत भटककर अपने शौहर से बेवफ़ा हो जाए और 13 किसी और से हमबिसतर होकर नापाक हो जाए। उसके शौहर ने उसे नहीं देखा, क्योंकि यह पोशीदगी में हुआ है और न किसी ने उसे पकड़ा, न इसका कोई गवाह है। 14 अगर शौहर को अपनी बीवी की वफ़ादारी पर शक हो और वह ग़ैरत खाने लगे, लेकिन यक़ीन से नहीं कह सकता कि मेरी बीवी क़ुसूरवार है कि नहीं 15 तो वह अपनी बीवी को इमाम के पास ले आए। साथ साथ वह अपनी बीवी के लिए क़ुरबानी के तौर पर जौ का डेढ़ किलोग्राम बेहतरीन मैदा ले आए। इस पर न तेल उंडेला जाए, न बख़ूर डाला जाए, क्योंकि ग़ल्ला की यह नज़र ग़ैरत की नज़र है जिसका मक़सद है कि पोशीदा क़ुसूर ज़ाहिर हो जाए। 16 इमाम औरत को क़रीब आने दे और रब के सामने खड़ा करे। 17 वह मिट्टी का बरतन मुक़द्दस पानी से भरकर उसमें मक़दिस के फ़र्श की कुछ ख़ाक डाले। 18 फिर वह औरत को रब को पेश करके उसके बाल खुलवाए और उसके हाथों पर मैदे की नज़र रखे। इमाम के अपने हाथ में कड़वे पानी का वह बरतन हो जो लानत का बाइस है।
19 फिर वह औरत को क़सम खिलाकर कहे, ‘अगर कोई और आदमी आपसे हमबिसतर नहीं हुआ है और आप नापाक नहीं हुई हैं तो इस कड़वे पानी की लानत का आप पर कोई असर न हो। 20 लेकिन अगर आप भटककर अपने शौहर से बेवफ़ा हो गई हैं और किसी और से हमबिसतर होकर नापाक हो गई हैं 21 तो रब आपको आपकी क़ौम के सामने लानती बनाए। आप बाँझ हो जाएँ और आपका पेट फूल जाए। 22 जब लानत का यह पानी आपके पेट में उतरे तो आप बाँझ हो जाएँ और आपका पेट फूल जाए।’ इस पर औरत कहे, ‘आमीन, ऐसा ही हो।’
23 फिर इमाम यह लानत लिखकर काग़ज़ को बरतन के पानी में यों धो दे कि उस पर लिखी हुई बातें पानी में घुल जाएँ। 24 बाद में वह औरत को यह पानी पिलाए ताकि वह उसके जिस्म में जाकर उसे लानत पहुँचाए। 25 लेकिन पहले इमाम उसके हाथों में से ग़ैरत की क़ुरबानी लेकर उसे ग़ल्ला की नज़र के तौर पर रब के सामने हिलाए और फिर क़ुरबानगाह के पास ले आए। 26 उस पर वह मुट्ठी-भर यादगारी की क़ुरबानी के तौर पर जलाए। इसके बाद वह औरत को पानी पिलाए। 27 अगर वह अपने शौहर से बेवफ़ा थी और नापाक हो गई है तो वह बाँझ हो जाएगी, उसका पेट फूल जाएगा और वह अपनी क़ौम के सामने लानती ठहरेगी। 28 लेकिन अगर वह पाक-साफ़ है तो उसे सज़ा नहीं दी जाएगी और वह बच्चे जन्म देने के क़ाबिल रहेगी।
29-30 चुनाँचे ऐसा ही करना है जब शौहर ग़ैरत खाए और उसे अपनी बीवी पर ज़िना का शक हो। बीवी को क़ुरबानगाह के सामने खड़ा किया जाए और इमाम यह सब कुछ करे। 31 इस सूरत में शौहर बेक़ुसूर ठहरेगा, लेकिन अगर उस की बीवी ने वाक़ई ज़िना किया हो तो उसे अपने गुनाह के नतीजे बरदाश्त करने पड़ेंगे।”