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तोहमत लगानेवालों से रिहाई के लिए दुआ
1 ज़ियारत का गीत।
मुसीबत में मैंने रब को पुकारा, और उसने मेरी सुनी।
2 ऐ रब, मेरी जान को झूटे होंटों और फ़रेबदेह ज़बान से बचा।
3 ऐ फ़रेबदेह ज़बान, वह तेरे साथ किया करे, मज़ीद तुझे क्या दे?
4 वह तुझ पर जंगजू के तेज़ तीर और दहकते कोयले बरसाए!
5 मुझ पर अफ़सोस! मुझे अजनबी मुल्क मसक में, क़ीदार के ख़ैमों के पास रहना पड़ता है।
6 इतनी देर से अमन के दुश्मनों के पास रहने से मेरी जान तंग आ गई है।
7 मैं तो अमन चाहता हूँ, लेकिन जब कभी बोलूँ तो वह जंग करने पर तुले होते हैं।