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ग़ज़लुल-ग़ज़लात
तू मेरा बादशाह है
मुझे हक़ीर न जानो
तू कहाँ है?
तू कितनी ख़ूबसूरत है
तू लासानी है
मैं इश्क़ के मारे बीमार हो गई हूँ
बहार आ गई है
रात को महबूब की आरज़ू
दूल्हा अपने लोगों के साथ आता है
तू कितनी हसीन है!
दुलहन का जादू
दुलहन नफ़ीस बाग़ है
रात को महबूब की तलाश
तू कितनी ख़ूबसूरत है
महबूबा के लिए आरज़ू
महबूबा की दिलकशी
महबूबा के लिए आरज़ू
महबूब के लिए आरज़ू
काश हम अकेले हों
महबूब की आख़िरी बात
महबूबा की आख़िरी बात
सुलेमान से ज़्यादा दौलतमंद
मुझे ही पुकार