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मदद की प्रेरणा
1 अब उस सेवा के विषय में जो पवित्र लोगों के लिये की जाती है, मुझे तुम को लिखना अवश्य नहीं। 2 क्योंकि मैं तुम्हारे मन की तैयारी को जानता हूँ, जिसके कारण मैं तुम्हारे विषय में मकिदुनियों के सामने घमण्ड दिखाता हूँ, कि अखाया के लोग एक वर्ष से तैयार हुए हैं, और तुम्हारे उत्साह ने और बहुतों को भी उभारा है। 3 परन्तु मैंने भाइयों को इसलिए भेजा है, कि हमने जो घमण्ड तुम्हारे विषय में दिखाया, वह इस बात में व्यर्थ न ठहरे; परन्तु जैसा मैंने कहा; वैसे ही तुम तैयार रहो। 4 ऐसा न हो, कि यदि कोई मकिदुनी मेरे साथ आए, और तुम्हें तैयार न पाए, तो क्या जानें, इस भरोसे के कारण हम (यह नहीं कहते कि तुम) लज्जित हों। 5 इसलिए मैंने भाइयों से यह विनती करना अवश्य समझा कि वे पहले से तुम्हारे पास जाएँ, और तुम्हारी उदारता का फल जिसके विषय में पहले से वचन दिया गया था, तैयार कर रखें, कि यह दबाव से नहीं परन्तु उदारता के फल की तरह तैयार हो।
अच्छे दान दाता
6 परन्तु बात तो यह है, कि जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटेगा भी; और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा। (नीति. 11:24, नीति. 22:9) 7 हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे; न कुढ़-कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है। (व्यव. 18:10, नीति. 22:9, नीति. 11:25) 8 परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है* 9:8 परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है: यह मत समझो कि उदारतापूर्वक देने के द्वारा आपकी जरुरत कम हो जाएगी, बल्कि परमेश्वर में भरोसा रखें कि वह हमारे भविष्य की जरूरतों के लिए आपूर्ति करेंगे।। जिससे हर बात में और हर समय, सब कुछ, जो तुम्हें आवश्यक हो, तुम्हारे पास रहे, और हर एक भले काम के लिये तुम्हारे पास बहुत कुछ हो। 9 जैसा लिखा है,
“उसने बिखेरा, उसने गरीबों को दान दिया,
उसकी धार्मिकता सदा बनी रहेगी।” (भज. 112:9)
10 अतः जो बोनेवाले को बीज, और भोजन के लिये रोटी देता है वह तुम्हें बीज देगा, और उसे फलवन्त करेगा; और तुम्हारे धार्मिकता के फलों को बढ़ाएगा। (यशा. 55:10, होशे 10:12) 11 तुम हर बात में सब प्रकार की उदारता के लिये जो हमारे द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करवाती है, धनवान किए जाओ। 12 क्योंकि इस सेवा के पूरा करने से, न केवल पवित्र लोगों की घटियाँ पूरी होती हैं, परन्तु लोगों की ओर से परमेश्वर का बहुत धन्यवाद होता है। 13 क्योंकि इस सेवा को प्रमाण स्वीकार कर वे परमेश्वर की महिमा प्रगट करते हैं† 9:13 परमेश्वर की महिमा प्रगट करते हैं: तुम्हारे उदारता को देखकर वे परमेश्वर की स्तुति करेंगे।, कि तुम मसीह के सुसमाचार को मानकर उसके अधीन रहते हो, और उनकी, और सब की सहायता करने में उदारता प्रगट करते रहते हो। 14 और वे तुम्हारे लिये प्रार्थना करते हैं; और इसलिए कि तुम पर परमेश्वर का बड़ा ही अनुग्रह है‡ 9:14 तुम पर परमेश्वर का बड़ा ही अनुग्रह है: उस अति कृपा के तहत जो परमेश्वर ने तुम्हें दिखाया।, तुम्हारी लालसा करते रहते हैं। 15 परमेश्वर को उसके उस दान के लिये जो वर्णन से बाहर है, धन्यवाद हो।
*9:8 9:8 परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है: यह मत समझो कि उदारतापूर्वक देने के द्वारा आपकी जरुरत कम हो जाएगी, बल्कि परमेश्वर में भरोसा रखें कि वह हमारे भविष्य की जरूरतों के लिए आपूर्ति करेंगे।
†9:13 9:13 परमेश्वर की महिमा प्रगट करते हैं: तुम्हारे उदारता को देखकर वे परमेश्वर की स्तुति करेंगे।
‡9:14 9:14 तुम पर परमेश्वर का बड़ा ही अनुग्रह है: उस अति कृपा के तहत जो परमेश्वर ने तुम्हें दिखाया।