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नाज़ीरों की व्यवस्था
1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “इस्राएलियों से कह कि जब कोई पुरुष या स्त्री नाज़ीर* 6:2 नाज़ीर: इसका अर्थ है “प्रथक किया जाना जैसे आगे लिखा है “यहोवा के लिए” की मन्नत, अर्थात् अपने को यहोवा के लिये अलग करने की विशेष मन्नत माने, 3 तब वह दाखमधु और मदिरा से अलग रहे; वह न दाखमधु का, और न मदिरा का सिरका पीए, और न दाख का कुछ रस भी पीए, वरन् दाख न खाए, चाहे हरी हो चाहे सूखी। (लूका 1:15) 4 जितने दिन यह अलग रहे उतने दिन तक वह बीज से लेकर छिलके तक, जो कुछ दाखलता से उत्पन्न होता है, उसमें से कुछ न खाए।
5 “फिर जितने दिन उसने अलग रहने की मन्नत मानी हो उतने दिन तक वह अपने सिर पर छुरा न फिराए† 6:5 अपने सिर पर छुरा न फिराए: सिर पर बालों का बढ़ना पुरुष के द्वारा सम्पूर्ण बल एवं शक्ति से परमेश्वर की सेवा में समर्पण प्रगट करता है।; और जब तक वे दिन पूरे न हों जिनमें वह यहोवा के लिये अलग रहे तब तक वह पवित्र ठहरेगा, और अपने सिर के बालों को बढ़ाए रहे। (प्रेरि. 21:23, 24:2) 6 जितने दिन वह यहोवा के लिये अलग रहे उतने दिन तक किसी लोथ के पास न जाए। 7 चाहे उसका पिता, या माता, या भाई, या बहन भी मरे, तो भी वह उनके कारण अशुद्ध न हो; क्योंकि अपने परमेश्वर के लिये अलग रहने का चिन्ह उसके सिर पर होगा। 8 अपने अलग रहने के सारे दिनों में वह यहोवा के लिये पवित्र ठहरा रहे।
9 “यदि कोई उसके पास अचानक मर जाए, और उसके अलग रहने का जो चिन्ह उसके सिर पर होगा वह अशुद्ध हो जाए, तो वह शुद्ध होने के दिन, अर्थात् सातवें दिन अपना सिर मुँड़ाएँ। 10 और आठवें दिन वह दो पंडुक या कबूतरी के दो बच्चे मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास ले जाए, 11 और याजक एक को पापबलि, और दूसरे को होमबलि करके उसके लिये प्रायश्चित करे, क्योंकि वह लोथ के कारण पापी ठहरा है। और याजक उसी दिन उसका सिर फिर पवित्र करे, 12 और वह अपने अलग रहने के दिनों को फिर यहोवा के लिये अलग ठहराए, और एक वर्ष का एक भेड़ का बच्चा दोषबलि करके ले आए; और जो दिन इससे पहले बीत गए हों वे व्यर्थ गिने जाएँ, क्योंकि उसके अलग रहने का चिन्ह अशुद्ध हो गया।
13 “फिर जब नाज़ीर के अलग रहने के दिन पूरे हों, उस समय के लिये उसकी यह व्यवस्था है; अर्थात् वह मिलापवाले तम्बू के द्वार पर पहुँचाया जाए, 14 और वह यहोवा के लिये होमबलि करके एक वर्ष का एक निर्दोष भेड़ का बच्चा पापबलि करके, और एक वर्ष की एक निर्दोष भेड़ की बच्ची, और मेलबलि के लिये एक निर्दोष मेढ़ा, 15 और अख़मीरी रोटियों की एक टोकरी, अर्थात् तेल से सने हुए मैदे के फुलके, और तेल से चुपड़ी हुई अख़मीरी पपड़ियाँ, और उन बलियों के अन्नबलि और अर्घ; ये सब चढ़ावे समीप ले जाए। 16 इन सब को याजक यहोवा के सामने पहुँचाकर उसके पापबलि और होमबलि को चढ़ाए, 17 और अख़मीरी रोटी की टोकरी समेत मेढ़े को यहोवा के लिये मेलबलि करके, और उस मेलबलि के अन्नबलि और अर्घ को भी चढ़ाए। 18 तब नाज़ीर अपने अलग रहने के चिन्हवाले सिर को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर मुँड़ाकर‡ 6:18 सिर को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर मुँड़ाकर: नाज़ीर परमेश्वर से सम्मान में बाल नहीं काटता है तो समय पूरा हो जाने पर उसकी शपथ का प्रतीक उसके बाल मुँड़ाकर पवित्रस्थान में परमेश्वर को चढ़ाए जाए अपने बालों को उस आग पर डाल दे जो मेलबलि के नीचे होगी। 19 फिर जब नाज़ीर अपने अलग रहने के चिन्हवाले सिर को मुँड़ा चुके तब याजक मेढ़े का पकाया हुआ कंधा, और टोकरी में से एक अख़मीरी रोटी, और एक अख़मीरी पपड़ी लेकर नाज़ीर के हाथों पर धर दे, 20 और याजक इनको हिलाने की भेंट करके यहोवा के सामने हिलाए; हिलाई हुई छाती और उठाई हुई जाँघ समेत ये भी याजक के लिये पवित्र ठहरें; इसके बाद वह नाज़ीर दाखमधु पी सकेगा।
21 “नाज़ीर की मन्नत की, और जो चढ़ावा उसको अपने अलग होने के कारण यहोवा के लिये चढ़ाना होगा उसकी भी यही व्यवस्था है। जो चढ़ावा वह अपनी पूँजी के अनुसार चढ़ा सके, उससे अधिक जैसी मन्नत उसने मानी हो, वैसे ही अपने अलग रहने की व्यवस्था के अनुसार उसे करना होगा।”
याजक का आशीर्वाद
22 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 23 “हारून और उसके पुत्रों से कह कि तुम इस्राएलियों को इन वचनों से आशीर्वाद दिया करना:
24 “यहोवा तुझे आशीष दे और तेरी रक्षा करे:
25 “यहोवा तुझ पर अपने मुख का प्रकाश चमकाए,
और तुझ पर अनुग्रह करे:
26 “यहोवा अपना मुख तेरी ओर करे, और तुझे शान्ति दे।
27 “इस रीति से मेरे नाम को इस्राएलियों पर रखें§ 6:27 इस रीति से मेरे नाम को इस्राएलियों पर रखें: अर्थात् मेरे पवित्र नाम को उन पर आशीष हेतु घोषित करें। पुरोहितों आशीर्वाद दें तो परमेश्वर उसे प्रभावी करेगा। , और मैं उन्हें आशीष दिया करूँगा।”
*6:2 6:2 नाज़ीर: इसका अर्थ है “प्रथक किया जाना जैसे आगे लिखा है “यहोवा के लिए”
†6:5 6:5 अपने सिर पर छुरा न फिराए: सिर पर बालों का बढ़ना पुरुष के द्वारा सम्पूर्ण बल एवं शक्ति से परमेश्वर की सेवा में समर्पण प्रगट करता है।
‡6:18 6:18 सिर को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर मुँड़ाकर: नाज़ीर परमेश्वर से सम्मान में बाल नहीं काटता है तो समय पूरा हो जाने पर उसकी शपथ का प्रतीक उसके बाल मुँड़ाकर पवित्रस्थान में परमेश्वर को चढ़ाए जाए
§6:27 6:27 इस रीति से मेरे नाम को इस्राएलियों पर रखें: अर्थात् मेरे पवित्र नाम को उन पर आशीष हेतु घोषित करें। पुरोहितों आशीर्वाद दें तो परमेश्वर उसे प्रभावी करेगा।