^
उद्बोधक
सब कुछ व्यर्थ है
बुद्धि की व्यर्थता
समृद्धि और सुख-विलास भी बेकार
बुद्धि मूर्खता से बड़ी
मेहनत की व्यर्थता
हर एक काम के लिए तय समय
अत्याचार के दुष्प्रभाव
उन्‍नति की व्यर्थता
परमेश्वर से अपनी मन्‍नतें पूरी करें
धन भी व्यर्थ
बुद्धि और मूर्खता के बीच का अंतर
राजाओं की आज्ञा का पालन
सभी मनुष्य मृत्यु के अधीन
मूर्खता से बेहतर है बुद्धि
कई उद्यमों में निवेश करें
जवानी में अपनी सृष्टिकर्ता की याद रखो
दार्शनिक का उद्देश्य