भजन संहिता. 120. यात्रा का गीत संकट के समय मैंने यहोवा को पुकारा, और उसने मेरी सुन ली। हे यहोवा, झूठ बोलनेवाले मुँह से और छली जीभ से मेरी रक्षा कर। हे छली जीभ, तुझको क्या मिले? और तेरे साथ और क्या अधिक किया जाए? वीर के नोकीले तीर और झाऊ के अंगारे! हाय, हाय, क्योंकि मुझे मेशेक में परदेशी होकर रहना पड़ा और केदार के तम्बुओं में बसना पड़ा है! बहुत समय से मुझ को मेल के बैरियों के साथ बसना पड़ा है। मैं तो मेल चाहता हूँ; परन्तु मेरे बोलते ही, वे लड़ना चाहते हैं!