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मुआफ़ी और राहनुमाई के लिए दुआ
दाऊद का ज़बूर।
ऐ रब, मैं तेरा आरज़ूमंद हूँ।
ऐ मेरे ख़ुदा, तुझ पर मैं भरोसा रखता हूँ। मुझे शरमिंदा न होने दे कि मेरे दुश्मन मुझ पर शादियाना बजाएँ।
क्योंकि जो भी तुझ पर उम्मीद रखे वह शरमिंदा नहीं होगा जबकि जो बिलावजह बेवफ़ा होते हैं वही शरमिंदा हो जाएंगे।
 
ऐ रब, अपनी राहें मुझे दिखा, मुझे अपने रास्तों की तालीम दे।
अपनी सच्चाई के मुताबिक़ मेरी राहनुमाई कर, मुझे तालीम दे। क्योंकि तू मेरी नजात का ख़ुदा है। दिन-भर मैं तेरे इंतज़ार में रहता हूँ।
ऐ रब, अपना वह रहम और मेहरबानी याद कर जो तू क़दीम ज़माने से करता आया है।
ऐ रब, मेरी जवानी के गुनाहों और मेरी बेवफ़ा हरकतों को याद न कर बल्कि अपनी भलाई की ख़ातिर और अपनी शफ़क़त के मुताबिक़ मेरा ख़याल रख।
 
रब भला और आदिल है, इसलिए वह गुनाहगारों को सहीह राह पर चलने की तलक़ीन करता है।
वह फ़रोतनों की इनसाफ़ की राह पर राहनुमाई करता, हलीमों को अपनी राह की तालीम देता है।
10 जो रब के अहद और अहकाम के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारें उन्हें रब मेहरबानी और वफ़ादारी की राहों पर ले चलता है।
11 ऐ रब, मेरा क़ुसूर संगीन है, लेकिन अपने नाम की ख़ातिर उसे मुआफ़ कर।
12 रब का ख़ौफ़ माननेवाला कहाँ है? रब ख़ुद उसे उस राह की तालीम देगा जो उसे चुनना है।
13 तब वह ख़ुशहाल रहेगा, और उस की औलाद मुल्क को मीरास में पाएगी।
14 जो रब का ख़ौफ़ मानें उन्हें वह अपने हमराज़ बनाकर अपने अहद की तालीम देता है।
 
15 मेरी आँखें रब को तकती रहती हैं, क्योंकि वही मेरे पाँवों को जाल से निकाल लेता है।
16 मेरी तरफ़ मायल हो जा, मुझ पर मेहरबानी कर! क्योंकि मैं तनहा और मुसीबतज़दा हूँ।
17 मेरे दिल की परेशानियाँ दूर कर, मुझे मेरी तकालीफ़ से रिहाई दे।
18 मेरी मुसीबत और तंगी पर नज़र डालकर मेरी ख़ताओं को मुआफ़ कर।
19 देख, मेरे दुश्मन कितने ज़्यादा हैं, वह कितना ज़ुल्म करके मुझसे नफ़रत करते हैं।
20 मेरी जान को महफ़ूज़ रख, मुझे बचा! मुझे शरमिंदा न होने दे, क्योंकि मैं तुझमें पनाह लेता हूँ।
21 बेगुनाही और दियानतदारी मेरी पहरादारी करें, क्योंकि मैं तेरे इंतज़ार में रहता हूँ।
22 ऐ अल्लाह, फ़िद्या देकर इसराईल को उस की तमाम तकालीफ़ से आज़ाद कर!