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अल्लाह की अज़मत और मेहरबानी
रब की हम्द हो! ऐ रब के ख़ादिमो, रब के नाम की सताइश करो, रब के नाम की तारीफ़ करो।
रब के नाम की अब से अबद तक तमजीद हो।
तुलूए-सुबह से ग़ुरूबे-आफ़ताब तक रब के नाम की हम्द हो।
रब तमाम अक़वाम से सरबुलंद है, उसका जलाल आसमान से अज़ीम है।
कौन रब हमारे ख़ुदा की मानिंद है जो बुलंदियों पर तख़्तनशीन है
और आसमानो-ज़मीन को देखने के लिए नीचे झुकता है?
पस्तहाल को वह ख़ाक में से उठाकर पाँवों पर खड़ा करता, मुहताज को राख से निकालकर सरफ़राज़ करता है।
वह उसे शुरफ़ा के साथ, अपनी क़ौम के शुरफ़ा के साथ बिठा देता है।
बाँझ को वह औलाद अता करता है ताकि वह घर में ख़ुशी से ज़िंदगी गुज़ार सके। रब की हम्द हो!