ज़बूर. 113. ख़ुदावन्द की हम्द करो! ऐ ख़ुदावन्द के बन्दों, हम्द करो! ख़ुदावन्द के नाम की हम्द करो! अब से हमेशा तक, ख़ुदावन्द का नाम मुबारक हो! आफ़ताब के निकलने' से डूबने तक, ख़ुदावन्द के नाम की हम्द हो! ख़ुदावन्द सब क़ौमों पर बुलन्द — ओ — बाला है; उसका जलाल आसमान से बरतर है। ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा की तरह कौन है? जो 'आलम — ए — बाला पर तख़्तनशीन है, जो फ़रोतनी से, आसमान — ओ — ज़मीन पर नज़र करता है। वह ग़रीब को खाक से, और मोहताज को मज़बले पर से उठा लेता है, ताकि उसे उमरा के साथ, या'नी अपनी कौम के उमरा के साथ बिठाए। वह बाँझ का घर बसाता है, और उसे बच्चों वाली बनाकर दिलखुश करता है। ख़ुदावन्द की हम्द करो!