ज़बूर. 23. दाऊद का ज़बूर। रब मेरा चरवाहा है, मुझे कमी न होगी। वह मुझे शादाब चरागाहों में चराता और पुरसुकून चश्मों के पास ले जाता है। वह मेरी जान को ताज़ादम करता और अपने नाम की ख़ातिर रास्ती की राहों पर मेरी क़ियादत करता है। गो मैं तारीकतरीन वादी में से गुज़रूँ मैं मुसीबत से नहीं डरूँगा, क्योंकि तू मेरे साथ है, तेरी लाठी और तेरा असा मुझे तसल्ली देते हैं। तू मेरे दुश्मनों के रूबरू मेरे सामने मेज़ बिछाकर मेरे सर को तेल से तरो-ताज़ा करता है। मेरा प्याला तेरी बरकत से छलक उठता है। यक़ीनन भलाई और शफ़क़त उम्र-भर मेरे साथ साथ रहेंगी, और मैं जीते-जी रब के घर में सुकूनत करूँगा।