ज़बूर. 51. दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। यह गीत उस वक़्त से मुताल्लिक़ है जब दाऊद के बत-सबा के साथ ज़िना करने के बाद नातन नबी उसके पास आया। ऐ अल्लाह, अपनी शफ़क़त के मुताबिक़ मुझ पर मेहरबानी कर, अपने बड़े रहम के मुताबिक़ मेरी सरकशी के दाग़ मिटा दे। मुझे धो दे ताकि मेरा क़ुसूर दूर हो जाए, जो गुनाह मुझसे सरज़द हुआ है उससे मुझे पाक कर। क्योंकि मैं अपनी सरकशी को मानता हूँ, और मेरा गुनाह हमेशा मेरे सामने रहता है। मैंने तेरे, सिर्फ़ तेरे ही ख़िलाफ़ गुनाह किया, मैंने वह कुछ किया जो तेरी नज़र में बुरा है। क्योंकि लाज़िम है कि तू बोलते वक़्त रास्त ठहरे और अदालत करते वक़्त पाकीज़ा साबित हो जाए। यक़ीनन मैं गुनाहआलूदा हालत में पैदा हुआ। ज्योंही मैं माँ के पेट में वुजूद में आया तो गुनाहगार था। यक़ीनन तू बातिन की सच्चाई पसंद करता और पोशीदगी में मुझे हिकमत की तालीम देता है। ज़ूफ़ा लेकर मुझसे गुनाह दूर कर ताकि पाक-साफ़ हो जाऊँ। मुझे धो दे ताकि बर्फ़ से ज़्यादा सफ़ेद हो जाऊँ। मुझे दुबारा ख़ुशी और शादमानी सुनने दे ताकि जिन हड्डियों को तूने कुचल दिया वह शादियाना बजाएँ। अपने चेहरे को मेरे गुनाहों से फेर ले, मेरा तमाम क़ुसूर मिटा दे। ऐ अल्लाह, मेरे अंदर पाक दिल पैदा कर, मुझमें नए सिरे से साबितक़दम रूह क़ायम कर। मुझे अपने हुज़ूर से ख़ारिज न कर, न अपने मुक़द्दस रूह को मुझसे दूर कर। मुझे दुबारा अपनी नजात की ख़ुशी दिला, मुझे मुस्तैद रूह अता करके सँभाले रख। तब मैं उन्हें तेरी राहों की तालीम दूँगा जो तुझसे बेवफ़ा हो गए हैं, और गुनाहगार तेरे पास वापस आएँगे। ऐ अल्लाह, मेरी नजात के ख़ुदा, क़त्ल का क़ुसूर मुझसे दूर करके मुझे बचा। तब मेरी ज़बान तेरी रास्ती की हम्दो-सना करेगी। ऐ रब, मेरे होंटों को खोल ताकि मेरा मुँह तेरी सताइश करे। क्योंकि तू ज़बह की क़ुरबानी नहीं चाहता, वरना मैं वह पेश करता। भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ तुझे पसंद नहीं। अल्लाह को मंज़ूर क़ुरबानी शिकस्ता रूह है। ऐ अल्लाह, तू शिकस्ता और कुचले हुए दिल को हक़ीर नहीं जानेगा। अपनी मेहरबानी का इज़हार करके सिय्यून को ख़ुशहाली बख़्श, यरूशलम की फ़सील तामीर कर। तब तुझे हमारी सहीह क़ुरबानियाँ, हमारी भस्म होनेवाली और मुकम्मल क़ुरबानियाँ पसंद आएँगी। तब तेरी क़ुरबानगाह पर बैल चढ़ाए जाएंगे।