ज़बूर. 67. ज़बूर। तारदार साज़ों के साथ गाना है। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। अल्लाह हम पर मेहरबानी करे और हमें बरकत दे। वह अपने चेहरे का नूर हम पर चमकाए (सिलाह) ताकि ज़मीन पर तेरी राह और तमाम क़ौमों में तेरी नजात मालूम हो जाए। ऐ अल्लाह, क़ौमें तेरी सताइश करें, तमाम क़ौमें तेरी सताइश करें। उम्मतें शादमान होकर ख़ुशी के नारे लगाएँ, क्योंकि तू इनसाफ़ से क़ौमों की अदालत करेगा और ज़मीन पर उम्मतों की क़ियादत करेगा। (सिलाह) ऐ अल्लाह, क़ौमें तेरी सताइश करें, तमाम क़ौमें तेरी सताइश करें। ज़मीन अपनी फ़सलें देती है। अल्लाह हमारा ख़ुदा हमें बरकत दे! अल्लाह हमें बरकत दे, और दुनिया की इंतहाएँ सब उसका ख़ौफ़ मानें।