ज़बूर. 97. रब बादशाह है! ज़मीन जशन मनाए, साहिली इलाक़े दूर दूर तक ख़ुश हों। वह बादलों और गहरे अंधेरे से घिरा रहता है, रास्ती और इनसाफ़ उसके तख़्त की बुनियाद हैं। आग उसके आगे आगे भड़ककर चारों तरफ़ उसके दुश्मनों को भस्म कर देती है। उस की कड़कती बिजलियों ने दुनिया को रौशन कर दिया तो ज़मीन यह देखकर पेचो-ताब खाने लगी। रब के आगे आगे, हाँ पूरी दुनिया के मालिक के आगे आगे पहाड़ मोम की तरह पिघल गए। आसमानों ने उस की रास्ती का एलान किया, और तमाम क़ौमों ने उसका जलाल देखा। तमाम बुतपरस्त, हाँ सब जो बुतों पर फ़ख़र करते हैं शरमिंदा हों। ऐ तमाम माबूदो, उसे सिजदा करो! कोहे-सिय्यून सुनकर ख़ुश हुआ। ऐ रब, तेरे फ़ैसलों के बाइस यहूदाह की बेटियाँ बाग़ बाग़ हुईं। क्योंकि तू ऐ रब, पूरी दुनिया पर सबसे आला है, तू तमाम माबूदों से सरबुलंद है। तुम जो रब से मुहब्बत रखते हो, बुराई से नफ़रत करो! रब अपने ईमानदारों की जान को महफ़ूज़ रखता है, वह उन्हें बेदीनों के क़ब्ज़े से छुड़ाता है। रास्तबाज़ के लिए नूर का और दिल के दियानतदारों के लिए शादमानी का बीज बोया गया है। ऐ रास्तबाज़ो, रब से ख़ुश हो, उसके मुक़द्दस नाम की सताइश करो।