ज़बूर. 108. दाऊद का ज़बूर। गीत। ऐ अल्लाह, मेरा दिल मज़बूत है। मैं साज़ बजाकर तेरी मद्हसराई करूँगा। ऐ मेरी जान, जाग उठ! ऐ सितार और सरोद, जाग उठो! मैं तुलूए-सुबह को जगाऊँगा। ऐ रब, मैं क़ौमों में तेरी सताइश, उम्मतों में तेरी मद्हसराई करूँगा। क्योंकि तेरी शफ़क़त आसमान से कहीं बुलंद है, तेरी वफ़ादारी बादलों तक पहुँचती है। ऐ अल्लाह, आसमान पर सरफ़राज़ हो! तेरा जलाल पूरी दुनिया पर छा जाए। अपने दहने हाथ से मदद करके मेरी सुन ताकि जो तुझे प्यारे हैं नजात पाएँ। अल्लाह ने अपने मक़दिस में फ़रमाया है, “मैं फ़तह मनाते हुए सिकम को तक़सीम करूँगा और वादीए-सुक्कात को नापकर बाँट दूँगा। जिलियाद मेरा है और मनस्सी मेरा है। इफ़राईम मेरा ख़ोद और यहूदाह मेरा शाही असा है। मोआब मेरा ग़ुस्ल का बरतन है, और अदोम पर मैं अपना जूता फेंक दूँगा। मैं फ़िलिस्ती मुल्क पर ज़ोरदार नारे लगाऊँगा!” कौन मुझे क़िलाबंद शहर में लाएगा? कौन मेरी राहनुमाई करके मुझे अदोम तक पहुँचाएगा? ऐ अल्लाह, तू ही यह कर सकता है, गो तूने हमें रद्द किया है। ऐ अल्लाह, तू हमारी फ़ौजों का साथ नहीं देता जब वह लड़ने के लिए निकलती हैं। मुसीबत में हमें सहारा दे, क्योंकि इस वक़्त इनसानी मदद बेकार है। अल्लाह के साथ हम ज़बरदस्त काम करेंगे, क्योंकि वही हमारे दुश्मनों को कुचल देगा।