ज़बूर. 122. दाऊद का ज़ियारत का गीत। मैं उनसे ख़ुश हुआ जिन्होंने मुझसे कहा, “आओ, हम रब के घर चलें।” ऐ यरूशलम, अब हमारे पाँव तेरे दरवाज़ों में खड़े हैं। यरूशलम शहर यों बनाया गया है कि उसके तमाम हिस्से मज़बूती से एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। वहाँ क़बीले, हाँ रब के क़बीले हाज़िर होते हैं ताकि रब के नाम की सताइश करें जिस तरह इसराईल को फ़रमाया गया है। क्योंकि वहाँ तख़्ते-अदालत करने के लिए लगाए गए हैं, वहाँ दाऊद के घराने के तख़्त हैं। यरूशलम के लिए सलामती माँगो! “जो तुझसे प्यार करते हैं वह सुकून पाएँ। तेरी फ़सील में सलामती और तेरे महलों में सुकून हो।” अपने भाइयों और हमसायों की ख़ातिर मैं कहूँगा, “तेरे अंदर सलामती हो!” रब हमारे ख़ुदा के घर की ख़ातिर मैं तेरी ख़ुशहाली का तालिब रहूँगा।