ज़बूर. 128. ज़ियारत का गीत। मुबारक है वह जो रब का ख़ौफ़ मानकर उस की राहों पर चलता है। यक़ीनन तू अपनी मेहनत का फल खाएगा। मुबारक हो, क्योंकि तू कामयाब होगा। घर में तेरी बीवी अंगूर की फलदार बेल की मानिंद होगी, और तेरे बेटे मेज़ के इर्दगिर्द बैठकर ज़ैतून की ताज़ा शाख़ों की मानिंद होंगे। जो आदमी रब का ख़ौफ़ माने उसे ऐसी ही बरकत मिलेगी। रब तुझे कोहे-सिय्यून से बरकत दे। वह करे कि तू जीते-जी यरूशलम की ख़ुशहाली देखे, कि तू अपने पोतों-नवासों को भी देखे। इसराईल की सलामती हो!